हर महीने जिस्म के बाजार में बिक रहीं बेटियां.
निशाने पर घर से भागनेवाली और रोजगार के लिए घर से बाहर निकालने वाली बिहार की बेटियां.
सिटी पोस्ट लाइव :झारखण्ड की तरह बिहार भी बेटियों की तस्करी को लेकर कुख्यात होता जा रहा है. राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार2021 में 218 बेटियां मानव तस्करी का शिकार हुईं. इस साल अब तक मानव तस्करी के 74 केस दर्ज हो चुके हैं. इस साल हर महीने मानव तस्करी के औसतन 15 मामले दर्ज हो रहे हैं.खबर के अनुसार बहला-फुसलाकर या काम दिलाने के बहाने जिस्म के बाजार में बेटियों का सौदा हो रहा है. पुलिस मुख्यालय की 17 जुलाई की रिपोर्ट इसकी पुष्टि करती है.
‘ह्यूमन ट्रैफिकिंग’ नेटवर्क की पड़ताल में पता चला कि घर से भागी लड़कियां और महिलाएं मानव तस्करों की आसान शिकार हैं. रेलवे और बस स्टैंड के आस-पास इन खौफनाक दरिंदों ने राज्यव्यापी जाल बिछा रखा है.जिस्म की मंडी में औसतन हर महीने राज्य की 20 किशोरियां बिक रहीं हैं, और जिस्म के सौदागर गिरफ्त से बाहर हैं. बचपन बचाओ आंदोलन के निदेशक मनीष शर्मा के अनुसार लगभग 45 तस्कर पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं. ये दर्जनों बेटियों को देह व्यापार में उतार चुके हैं.पुलिस सूत्रों के अनुसार जो लड़कियाँ घर से भागती हैं या फिर रोजगार की तलाश में घर से बाहर निकलती हैं, गिरोह उन्हें रेलवे स्टेशनों पर अपनी जाल में फांस लेता है.पटना जंक्शन पर भी ह्यूमन ट्रैफिकिंग गिरोह सक्रीय है.
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