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क्षेत्रीय पार्टियों के उदय का इतिहास और देश पर असर.

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सिटी पोस्ट लाइव :  भारत दनिुनिया का सबसेबड़ा लोकतंत्र है.जो बहुपार्टी (multi party) सि स्टम मेंआता है. लोकतंत्र मेंयह बहुत जरूरी है कि एक सेज्यादा पार्टी या स्वतंत्र रूप सेराजनीति में हिस्सा ले सके. मल्टी पार्टी सि स्टम से एक बड़ा फायदा यह है कि वो सरकार की नीति यों का समर्थन  और विरोध दोनों करने के लिए स्वतंत्र होतेहै. जिस वजह से सरकार की जनता के प्रति जवाबदेही बनती है. भारत में राजनीति दल को चुनाव  आयोग के द्वारा पंजीकृत  के कुछ मापदंड होते हैं .जो पार्टी उसमे खरी उतरती है उसे पंजीकृत  किया जाता है. चुनाव  आयोग ही फैसला लेती है कि  कौन सी पार्टी राष्टीय है, कोन सी पार्टी राज्य स्तर की है.

चुनाव  आयोग के समक्ष, भारत में राष्ट्रीय कुल 8 पार्टियाँ हैं. राज्य स्तर की 50 से ज्यादा जबकि कुल 2000 से ज्यादा पार्टी या भारत मेंरजि स्टर्ड है. क्षेत्रीय पार्टी की संख्या पिछले चार दशक में बढ़ी है .उनकी ताकत भी बहुत बढ़ी है. क्षेत्रीय राजनीति क दलों की वि कास सेएक फायदा यह भी हुआ है कि गली, कस्बों, गांवों का वि कास हुआ.राष्ट्रिय  पार्टी के लिए ये सभंव नही है कि वो भारत के कोने कोनेतक पहुंच पाए.शायद इन सब चीजों का ख्याल रखतेहुए राष्ट्रपि ता महात्मा गांधी  ने पंचायती  राज का प्रस्ताव रखा होगा. उनका मानना था कि भारत के वि कास के लिए बहुत जरूरी है कि गांवों का विकास हो .गांवों का विकास क्षेत्रीय पार्टीयो की वजह से ज्यादा अच्छे और प्रभावी तरीके से हुआ भी.

भारत जहां 140 करोड़ की आबादी हैं, वहां लोगों के पास बहुत सारे ऑप्शन होना लोगों को यह आजादी देता है कि वो अपने लिए सही पार्टी  को चुन सके जो उनका ज्यादा अच्छे तरह से ख्याल रख सके. ज्यादा प्रभारी रूप सेउनके लि ए काम कर सके. ये अक्सर देखा गया है कि बहुत सारे राज्यों में सरकार चलानेवाली  पार्टी .राष्ट्रीय पार्टी में नहीं होती .इसके बाबजदू भी लोग उन पार्टियों पर भरोसा करते हैं जिनका प्रभाव केवल राज्य भर में होता है.कई बार देखा गया है कि क्षेत्रीय  पार्टी ज्यादा अच्छे तरह से काम करती है. राज्य में जिसकी वजह से लोगों की पसदं कुछ क्षेत्रीय  पार्टियां है न की राष्ट्रीय पार्टी. हां, इसके साथ कुछ अपवाद भी है कि कभी कभी राष्ट्रीय पार्टी क्षेत्रीय पार्टि यों का कठपतु ली की तरह इस्तमाल करती है.   लोक सभा हो या राज्य सभा दोनो मेंबहुमद जब तक नहीं तब तक कि सी भी पार्टी के लिए सरकार बनाना असभंव है.ऐसे में  कई बार पार्टी क्षेत्रीय पार्टी का इस्तेमाल  राष्ट्रिय पार्टियाँ सरकार बनाने के लिए करती है. कई बार ऐसा भी देखा गया है कि बड़ी पार्टी क्षेत्रीय पार्टी को सि र्फ वोट काटने के लिए भी इस्तमाल करती है, ताकि बड़ी पार्टी अपने उम्मीदवार  को जीता सके.

क्षेत्रीय पार्टियों के उदय के उदय के आर्थिक कारण भी होते हैं. कई बार देखा गया है कि चुनाव के समय क्षेत्रीय पार्टियों की वजह से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार भी मिलता है. पार्टी और नेता के प्रचार के लिए पार्टियाँ ब्रांडिंग पर बहुत खर्च करती हैं. इलेक्शन की वजह से बहुत सारे लोगों को रोजगार मिलता है. चुनाव में हजारों करोड़ क्षेत्रीय पार्टियाँ खर्च करती हैं.कुछ पार्टियाँ अपना उम्मीदवार बनाने के लिए करोडो रूपये वसूलती हैं .उस पैसे को इलेक्शन में खर्च करती हैं.

हमारे देश मेंजाति और धर्म की राजनीति होती है. कुछ पार्टियों का अस्तित्व  जाति धर्म होता है. लालू यादव, मुलायम यादव और  ओवैशी ऐसे ही नेता हैं जिनकी पार्टियों का आधार जाति-मजहब के समर्थन पर टिका  है.राजनीति में जाति-धर्म का अहम् रोल है.नेता जाति-मजहब की राजनीति करते हैं और जनता भी चुनाव में जाति-मजहब के आधार पर उनका समर्थन और विरोध करती है.आज की तारीख में बीजेपी हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर ही सबसे मजबूत पार्टी बन चुकी है.जाति-मजहब से ऊपर उठकर राजनीति करनेवाली कांग्रेस पार्टी आज हाशिये पर है.

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