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मोदी के एक फैसले से लगी चीन की वाट, बंद हो रही हैं फैक्ट्रियां.

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सिटी पोस्ट लाइव : पीएम मोदी के मेक इन इंडिया प्रोग्राम ने चीन का बैंड बजा दिया है.  भारत में ईयरबड्स, नेक बैंड्स और स्मार्टवॉच जैसे वियरेबल्स आइटम्स (wearable items) की मैन्यूफैक्चरिंग तेजी से बढ़ रही है. भारतीय ब्रांड्स ने देश में वियरेबल्स के 75 परसेंट मार्केट पर कब्जा कर लिया है. इससे चीन की एसेंबली लाइन्स पर बुरा असर हुआ है. वहां की फैक्ट्रियों के ऑर्डर में भारी गिरावट आई है और देश में एक के बाद एक कई फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं. सरकार ने पूरी तरह से तैयार वियरलेबल आइटम्स के इम्पोर्ट पर 20 फीसदी बेसिक कस्टम ड्यूटी लगा दी थी. इससे कंपनियों ने चीन से मंगाने के बजाय देश में ही प्रॉडक्शन करना शुरू कर दिया. आज भारत दुनिया में वियरेबल्स मार्केट का सबसे बड़ा बाजार बनकर उभरा है.

 

जानकारों का कहना है कि बोट (Boat) और गिजमोर (Gizmore) जैसे ब्रांड्स अधिकांश वियरेबल आइटम्स देश में ही बना रहे हैं. इन कंपनियों ने ठेके पर आइटम बनाने वाली कंपनी डिक्सन टेक्नोलॉजीज (Dixon Technologies) और ऑप्टीमस इलेक्ट्रॉनिक्स (Optiemus Electronics) के साथ हाथ मिलाया है. नोएडा की कंपनी Gizmore के चीफ एग्जीक्यूटिव संजय कलीरोना ने कहा कि वियरेबल्स एसेंबली चीन से भारत में शिफ्ट हो गई है. इसलिए चीन की एसेंबलिंग कंपनियों के पास कोई काम नहीं रह गया है. पहले हम वहां से पूरी तरह तैयार यूनिट्स (Completely Build-up Units) मंगाते थे. लेकिन जबसे सरकार ने वियरेबल्स पर ड्यूटी लगाई, तबसे हम उन्हें सेमी नॉक-डाउन फॉर्म में मंगाते हैं और यहां उनकी एसेंबलिंग की जाती है. यही कारण है कि भारत को सप्लाई करने वाली कंपनियों के पास कोई ऑर्डर नहीं है.

 

आईडीसी इंडिया (IDC India) के मुताबिक जनवरी से लेकर मार्च के बीच वियरेबल्स के डोमेसिट्क शिपमेंट्स में पिछले साल के मुकाबले 81 फीसदी तेजी आई और यह 2.5 करोड़ यूनिट पहुंच गई. इसके साथ ही चीन को पछाड़कर भारत दुनिया में वियरेबल्स का सबसे बड़ा मार्केट बन गया. बीजिंग का शिपमेंट चार फीसदी की गिरावट के साथ 2.47 करोड़ यूनिट रह गया. आईडीसी इंडिया के मुताबिक 2023 में भारतीय शिपमेंट 13.1 करोड़ पहुंच सकता है जो पिछले साल 10 करोड़ था. हालांकि भारतीय कंपनियां अब भी पार्ट्स के लिए काफी हद तक चीन की कंपनियों पर निर्भर हैं.

 

देश में स्मार्टफोन के मार्केट में चीन की कंपनियों का दबदबा है लेकिन वियरेबल्स इंडस्ट्री में स्थिति अलग है. इसमें बोट, नॉइज औ फायरबोल्ट जैसी भारतीय कंपनियों का दबदबा है. वॉल्यूम के हिसाब से देश के 75 फीसदी मार्केट पर देसी कंपनियों का दबदबा है. 2022 के अंत में देश में बिकने वाले 40 परसेंट वियरेबल्स देश में ही बनाए गए थे. अभी यह आंकड़ा 65 फीसदी पहुंच गया है और इस साल के अंत में इसके 80 परसेंट पहुंचने की उम्मीद है. बोट के चीफ एग्जीक्यूटिव समीर मेहता ने कहा कि 75 परसेंट ऑडियो प्रॉडक्ट्स और 95 फीसदी स्मार्टवॉच देश में ही बन रही हैं. पिछले साल यह आंकड़ा 20-25 फीसदी था। हालत यह हो गई है कि चीन की फैक्ट्रियों में काम आधा रह गया है.

 

मेहता ने कहा कि पिछले डेढ़ साल में भारत में वियरेबल्स की खपत सबसे ज्यादा है. इसलिए कंपनियों ने मैन्यूफैक्चरिंग को भारत में शिफ्ट कर दिया है. यही वजह है कि चीन की फैक्ट्रियों के पास काम नहीं रह गया है और कई तो बंद हो चुकी हैं. बोट भारत में सात से आठ पार्टनर्स के साथ काम कर रही है. इनमें डिक्सन और वीवीडीएन टेक्नोलॉजीज शामिल है. चीन में कंपनी सिंफनी, मिनामी और छह अन्य कंपनियों के साथ काम कर रही है.

 

सरकार ने अप्रैल 2022 में Phased Manufacturing Programme (PMP) को नोटिफाई किया था. इसके बाद से देश में वियरेबल्स की मैन्यूफैक्चरिंग ने जोर पकड़ा. भारत ने फाइनेंशियल ईयर 2023 में 8,000 करोड़ रुपये के वियरेबल्स बनाए जबकि उससे पिछले साल यह आंकड़ा बहुत कम था. सरकार ने अप्रैल 2023 से सीबीयू के इम्पोर्ट पर 20 फीसदी बेसिक कस्टम ड्यूटी लगा दी थी. जानकारों का कहना है कि लोकल एसेंबली बढ़ाकर लो एवरेज सेलिंग प्राइज (ASP) को मेनटेन किया जा रहा है. आईटीसी का कहना है कि इस साल के अंत तक एएसपी 23 से 25 डॉलर तक आ सकता है जो पिछले साल 25 डॉलर था.

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