सिटी पोस्ट लाइव : आखिरकार JDU के राज्य सभा सांसद हरिवंश सिंह बीजेपी के साथ हो गये.सूत्रों के अनुसार हरिवंश आरजेडी के क्रियाकलाप से बहुत खुश नहीं थे. उनकी पुरानी नाराजगी लालू यादव से थी. इसलिए नीतीश कुमार के बीजेपी से अलग होने के वावजूद उन्होंने उप सभापति का पद नहीं छोड़ा और चुपचाप संवैधानिक पद पर बने रहे. इस पर न तो कभी बीजेपी ने सवाल उठाया और ना ही जेडीयू उनके खिलाफ कोई एक्शन कर सकती थी.
जब से बिहार में एनडीए का गठबंधन जेडीयू से टूटा है तब से चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर नीतीश कुमार को आईना दिखाने में लगे हैं. कुछ दिनों के अंतराल पर वो यह कहते रहे हैं कि जब जदयू एनडीए से अलग हो चुका है तो फिर जदयू कोटे से राज्यसभा के सांसद हरिवंश नारायण सिंह राज्यसभा के उपसभापति के पद पर कैसे काबिज हैं. इस बहाने प्रशांत किशोर नीतीश कुमार पर हमला करते हैं रहे हैं. वे यह भी कहते हैं कि नीतीश कुमार ने हरिवंश नारायण सिंह के बहाने एक डोर एनडीए से जोड़े रखा है ताकि वक्त आने पर इस्तेमाल किया जा सके.
बिहार में NDA टूटने के बाद भी हरिवंश के सामने कोई दिक्कत नहीं रही थी. बीजेपी ने ना तो उन्हें उपसभापति पद से हटने को कहा और ना जदयू ने इसको लेकर कड़ा विरोध जताया था.लेकिन जब नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में हरिवंश नारायण सिंह शामिल हुए और पहला भाषण और राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति का संदेश पढ़ा तो JDU नेता बिफर पड़े.जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने तो यहां तक कह दिया कि जेपी की धरती पर जन्मे हरिवंश ने पद के लिए अपनी जमीर बेच दी.बयानबाजियों के इस दौर में बीजेपी के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल कहते हैं कि लोकतंत्र की गरिमा को बढ़ाने में हरिवंश जी का साथ मिला है. वह एक विद्वान आदमी हैं. उनके खिलाफ यदि कोई बयानबाजी होती है तो यह बहुत ही शर्मनाक है. हरिवंश जी एक संवैधानिक पद पर हैं और जदयू के नेता अपनी ओछी राजनीति दिखा रहे हैं.