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अपराधियों के लिए काल थे डीएम कृष्णैया, लेकिन खुद हो गए शिकार.

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सिटी पोस्ट लाइव : आईएएस अधिकारी के रूप में अपने छोटे से कार्यकाल के दौरान, बिहार के लिंच गैंगस्टरों द्वारा निर्दयतापूर्वक मारे जाने से पहले, जी. कृष्णय्या ने गरीबों तक पहुंचकर नाम कमाया था. कृष्णय्या, जो अपनी मृत्यु के समय केवल 35 वर्ष के थे, गोपालगंज के जिला मजिस्ट्रेट थे, जब उन्हें मुजफ्फरपुर के खबरा गांव में एक स्थानीय गैंगस्टर छोटन शुक्ला के अंतिम संस्कार के जुलूस निकालने वाली भीड़ द्वारा मार डाला गया और गोली मार दी गई थी. छोटन शुक्ल 1995 में होने वाले विधानसभा चुनाव में बिहार पीपुल्स पार्टी (बीपीपी) के उम्मीदवार थे.

 

आनंद मोहन और उनकी पत्नी लवली आनंद बीपीपी के नेता थे. चश्मदीद गवाहों के अनुसार आनंद मोहन ने आईएएस अधिकारी पर हमला करने के लिए भीड़ को उकसाया था, जिसे छोटन शुक्ला के भाई भुटकन शुक्ला ने गोली मार दी थी. बाद में गैंगवार में भुटकन मारा गया.कोर्ट में जाकर सभी छुट गए लेकिन आनंद मोहन इस मामले में बच नहीं सके.कोर्ट ने उन्हें फंसी की सजा सुनाई जिसे बाद में आजीवन कारावास में बदल दिया गया.अब एकबार फिर से आनंद मोहन परिहार पर जेल से रिहा हो रहे हैं.उनकी रिहाई के लिए नीतीश सरकार ने जेल कानून को भी बदल दिया है.

 

जी कृष्णैया एक ईमानदार लेकिन मृदुभाषी अधिकारी थे.अपराध और अपराधियों के खिलाफ कठोरता के साथ कारवाई करते थे. वो अपराध नियंत्रण को लेकर वो एसपी से ज्यादा सक्रीय रहते थे. अपराधियों की धर पकड़ और उन्हें सजा दिलाने के लिए हमेशा रणनीति बनाते रहते थे.जब वो डीएम थे तब पटना के एकमात्र स्थानीय केबल न्यूज़ चैनल ptn news ने बढ़ते अपराध को लेकर उनका साक्षत्कार किया था. उस दुर्लभ साक्षत्कार के कुछ अंश सुनकर ही आप समझ जायेगें कि जी कृष्णैया कैसे IAS अधिकारी थे और कैसे अपराधियों के हौसले को बुल्डोज कर देने की रणनीति बनाते रहते थे.

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