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आनंद मोहन के बाद दुर्दांत अशोक महतो की रिहाई की मांग.

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सिटी पोस्ट लाइव : जेल नियम में संशोधन करते हुए पूर्व सांसद आनंद मोहन सहित 27 बंदियों की रिहाई का मामला अब दिलचस्प हो गया है. आनंद मोहन को अनुसूचित जाति से आने वाले आइएएस जी. कृष्णैया की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा मिली थी. सरकार पर रिहाई में जातीय समीकरण साधने का आरोप लग रहा है.आनंद मोहन के अलावा रिहा होने वाले 27 कैदियों में 14 माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण के हैं. पांच अनुसूचित जाति के हैं. गैर यादव पिछड़ों की संख्या चार है. तीन अनुसूचित जाति के हैं.

 

मुस्लिम समुदाय से आने वाले रिहा हुए कैदियों में दस्तगीर खान, अल्लाउद्दीन अंसारी, मो. हलीम अंसारी, हलीम अंसारी, अख्तर अंसारी और मो. खुदबुद्दीन शामिल हैं. आठ कैदी यादव बिरादरी के हैं. इनमें अशाोक यादव, शिवजी यादव, किरथ यादव, राजबल्लभ यादव ऊर्फ बिजली यादव, किशुनदेव राय, पतिराम राय, चंद्रेश्वरी यादव और खेलावन यादव हैं.अनुसूचित जाति से रामाधार राम, पंचा ऊर्फ पंचानंद पासवान एवं कलक्टर पासवान ऊर्फ धुरफेकन ताल्लुक रखते हैं. देवनंदन नोनिया, मनोज प्रसाद, सिकंदर महतो और अवधेश मंडल गैर यादव पिछड़ी जाति के हैं.

 

आनंद मोहन की रिहाई का विरोध बिहार का कोई दलित नेता नहीं कर रहा है.जीतन राम मांझी हों या फिर JDU -RJD के दलित नेता किसी ने विरोध नहीं किया है.लेकिन JDU के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता प्रगति मेहता ने आनंनद मोहन और दूसरे कैदियों की रिहाई के बाद आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे दुर्दांत अपराधी अशोक महतो की रिहाई की मांग कर सरकार को संकट में डाल दिया है. अशोक महतो पर पूर्व कांग्रेसी सांसद राजो सिंह की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था लेकिन वो इसमें वह बरी हो गया. लेकिन, नवादा जेल ब्रेक एवं दूसरे मामलों में उसे आजन्म कारावास की सजा दी गई है. वह भागलपुर जेल में बंद है. महतो पिछड़ी जाति के हैं.

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