सिटी पोस्ट लाइव : आज के जमाने में बिना पैसा के पॉलिटिक्स की कल्पना नहीं की जा सकती.पहले पार्टियाँ चंदा से चुनाव लडती थीं अब उन्हें खुद चंदा जनता को देना पड़ता है.बिहार की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी RJD है.लेकिन उसके खाते में ’शून्य बटा सन्नाटा है.कोषाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह ये खुद मानते हैं.बिहार बीजेपी के खाते में अभी सिर्फ 51 लाख हैं. देश की दूसरी ज्यादा पैसे वाली पार्टी कांग्रेस की बिहार इकाई के पास तो चाय-पानी के लिए भी फण्ड नहीं है.बीजेपी और कांग्रेस के बिहार के नेता इसलिए थोड़ा निश्चिंत हैं क्योंकि चुनावी मौके पर उनको दिल्ली से बड़ी मदद आ जाती है.
जदयू ने जनवरी 2022 के आखिरी हफ्ते में ‘स्वैच्छिक सहयोग राशि संग्रह’ अभियान शुरू किया. 71 करोड़ आए. हालांकि, पार्टी ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है. चुनाव आयोग, एडीआर के अनुसार, 2020-21 में जदयू को कुल 65.31 करोड़ मिले थे. पार्टी के 76 लाख से ज्यादा सदस्य हैं. इनके मेंबरशिप (प्रति 5 रुपया) का रुपया खाते में है. पार्टी, अपने विधायकों से हर महीने 500 रुपया लेती है.बिहार भाजपा के खाते में 51 लाख है. ‘आजीवन सहयोग निधि’ के सदस्य चंदा देते हैं. कोषाध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने बताया-’ किसी तरह काम चल जाता है.1 करोड़ सदस्यों का सदस्यता शुल्क (5-5 रुपया) सुरक्षित है.’ विधायक व विधान पार्षद से 6 हजार व सांसद से 10 हजार लिया जाता है. अब इसे बढ़ाकर इनसे क्रमश: 10 और 25 हजार रुपए लेने की बात है.
RJD के कोषाध्यक्ष सुनील सिंह की मानें तो ‘पार्टी का बैंक बैलेंस जीरो है.सिर्फ 1 करोड़ सदस्यों के मेंबरशिप का 10-10 रुपया खाते में है. रूटीन खर्च बहुत दिक्कत से पूरा होता है. चंदा की बड़ी रकम नहीं मिलती. 79 विधायक, 14 एमएलसी हैं. इनसे हर माह 10-10 हजार लिया जाता है. इसी से रूटीन खर्च चलता है.’ 2019-20 राजद पर 3.24 करोड़ की लायबलिटी रही.बिहार कांग्रेस का 1.55 करोड़ बैंक में फिक्स है. इसका सूद, रूटीन खर्च में मददगार है. यहां 35 स्टाफ हैं. इनके वेतन पर हर माह करीब 4 लाख रुपए खर्च होता है. विधायकों से पैसा लिया जाता है. 28 लाख नए मेंबर बने हैं. मेंबरशिप का 5-5 रुपया बैंक में है.