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विपक्ष का नेत्रित्व करेगें नीतीश, जानिये क्या है अड़चन?

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष की गोलबंदी में जुट गये हैं.दिल्ली में राहुल गांधी और अरविन्द केजरीवाल से मुलाक़ात के बाद उन्होंने कहा कि अगर सारे विपक्षी दल एकजुट हो जाए तो बीजेपी को आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में 100 से कम सीटों पर रोका जा सकता है. गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने 9 अगस्त 2022 में बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल कांग्रेस और वामदलों को साथ लेकर बिहार में महागठबंधन सरकार का गठन किया था. मुख्यमंत्री ने तभी यह ऐलान किया था कि वह 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा मुक्त भारत देखना चाहते हैं.

2024 लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी एकजुटता के लिए प्रयासरत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेसी नेताओं से मुलाकात की. तेजस्वी यादव के साथ लालू यादव से मुलाक़ात के बाद वो मलिकार्जुन खरगे के घर पहुंचे. राहुल गांधी से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि हम लोगों ने एकजुट होने के मुद्दे पर चर्चा की है. नीतीश ने कहा कि पूरे देश में और भी पार्टियां हमारे साथ आएंगी. वैसा उन्हें पूरा यकीन है. इस मौके पर जहां मलिकार्जुन खरगे ने इस मुलाकात को ऐतिहासिक बताया वही कांग्रेसी नेता राहुल गांधी ने कहा कि देश में विचारधारा की लड़ाई चल रही है. संस्थानों को बचाने की लड़ाई चल रही है और हम उसके खिलाफ एक साथ होंगे.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब 2022 में विपक्षी दलों को एकजुट करने का प्रयास करना शुरू किया था. उस वक्त भी उन्होंने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ अखिलेश यादव, लालू प्रसाद यादव, शरद पवार सरीखे कई नेताओं के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात की थी. इसके बाद विपक्षी एकजुटता किया मुहीम तकरीबन 6 महीने तक ठंडे बस्ते में पड़ी रही. अब विपक्षी दलों को 2024 लोकसभा चुनाव के लिए एक मंच पर लाने का प्रयास फिर से तेज कर दिया गया है. नीतीश कुमार बुधवार की रात दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर डिनर करने पहुंचे.डिनर के दरमियान ही 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को शिकस्त देने के लिए बनाई जाने वाली योजना पर चर्चा की.

अप्रैल के अंतिम सप्ताह में 2024 लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों की एक बड़ी बैठक बुलाई गई है. इस बैठक में नीतीश कुमार को विपक्षी दलों का नेतृत्व करने की जिम्मेवारी सौंपी जा सकती है. अगर विपक्षी दलों की बैठक में नीतीश कुमार को जिम्मेदारी सौंपी जाती है तो जुलाई के महीने में बिहार में सत्ता परिवर्तन भी हो सकता है. यानी नीतीश कुमार के बदले तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री बनाये जा सकते हैं.

लेकिन सवाल उठता है कि दो दिन पहले ही चुनाव आयोग द्वारा राष्ट्रीय पार्टी का तमगा पाने वाले आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल क्या कांग्रेस के साथ जाएंगे ? क्योंकि आम आदमी पार्टी पिछले कई महीनों से यह आवाज बुलंद कर रही है कि 2024 का लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी बनाम अरविंद केजरीवाल होगा. दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी अति महत्वाकांक्षा की वजह से नीतीश कुमार के विपक्ष की एकजुटता की हवा निकाल चुकी है.
सवाल उठता है कि क्या ममता बनर्जी अपने अलावा विपक्ष के किसी भी नेता को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर स्वीकार करेंगी ? तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव भी खुद को 2024 लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार मानते हैं. वह तो नीतीश कुमार से काफी पहले से विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने का प्रयास भी कर रहे हैं। अगर अप्रैल के अंतिम सप्ताह में विपक्षी दलों की बैठक होती है और उसमें नीतीश कुमार को नेतृत्व करने का मौका दिया जाता है तो क्या केसीआर जैसे नेता नीतीश कुमार के नेतृत्व को स्वीकार करेंगे?

कांग्रेस इस वक्त अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद से ही कांग्रेस का तेजी से पतन हुआ है. इसके वावजूद सोनिया गांधी समेत कांग्रेस के तमाम वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता राहुल गांधी को राष्ट्रीय स्तर का बड़ा नेता बना कर देश के प्रधानमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी को कई बार लांच करने की कोशिश भी की गई लेकिन, हर बार राहुल गांधी फेल हो गए. वर्तमान समय में जब मोदी सरनेम को लेकर कोर्ट ने राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुना दी. जिसकी वजह से उनकी संसद की सदस्यता भी चली गई. ऐसे में क्या कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता राहुल गांधी के सिवाय किसी और को विपक्षी दलों के नेता के तौर पर और 2024 लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर देखना पसंद करेगी ?

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